मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी की याद में जलसे का आयोजन
स्वरूप टुडे संवाददाता
फ़तेहपुर बाराबांकी। सतबुर्जी मस्जिद में बाद नमाज़ ईशा एक जलसा वा यादगार ए इमाम अहल-ए-सुन्नत के उत्तराधिकारी हजरत मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी जोकि तहरीक ए दिफाए सहाबा की जानिब से किया गया। जलसे की सदारत मौलाना हबीब क़ासमी इमाम जामा मस्जिद व ईदगाह फतेहपुर ने किया और निजामत मुफ्ती नजीब कासमी ने की।
जलसे का आगाज़ कुरान मजीद की तिलावत से किया गया। मौलाना मुहम्मद हबीब कासमी ने कहा कि मैं जो कुछ भी हूं हजरत मौलाना की तालीम की वजह से हूं, हजरत मौलाना हर मोड़ पर मेरा मार्गदर्शन करते थे। इस पर मौलाना कासमी ने गहरा दु:ख जताया और मौलाना के लिए दुआ की और कहा कि मिल्लत ए इस्लामिया के एक सच्चे और ईमानदार प्रवक्ता इमाम एहले-सुन्नत, हजरत मौलाना अब्दुल शकूर फारूकी,अल्लाह उनकी कबर को भी नूर से भर दे।
मौलाना क़ासमी ने कहा कि हज़रत का इंतकाल पूरे इस्लाम के लिए एक बड़ी क्षति है, खासकर भारत के मुसलमानों के लिए।
इस मौके पर कारी मुहम्मद रफ़ीक नदवी,मोहतमिम मदरसा मोइनुल इस्लाम बेलहरा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हज़रत मौलाना अब्दुल अलीम फ़ारूक़ी ,वो व्यक्ति थे जिनका जीवन एक आंदोलन रहा है,अपने पूर्वज इमाम अहल-सुन्नत के नक्शेकदम पर चलते हुए गुजर गए।अल्लाह उनकी भरपूर मगफिरत फरमाए मौलाना मुहम्मद साबिर क़ासमी ने कहा कि हज़रत मौलाना अब्दुल अलीम फ़ारूक़ी ने सहाबा की प्रशंसा के मंच से एक महान कार्य किया है, जैसे कि उनके जीवन का मिशन सहाबा की प्रशंसा करना था। मैं अल्लाह से दुआ करता हूं की आपको जन्नत उल-फिरदौस में आला मुकाम अता फरमाए मौलाना फखरुद्दीन हकी ने कहा कि एक आलिम की मौत पूरे आलम की मौत है हजरत मौलाना के मिशन को जीवित रखना और उस पर चलना हम सभी की जिम्मेदारी है इसके अलावा चौधरी वकार अहमद, साकिर बहलीमी ने खिराज ए अकीदत पेश किया इस मौके पर शायर कारी मुजीब फतेहपुरी,नसीम अख्तर कुरैशी,अब्दुल हादी फैजी,ने नात के कलाम पेश किए इस मौके पर सूफियान हैदर रांचीवी,जावेद अख्तर,पत्रकार,मुईद अहमद सिद्दीकी पत्रकार, मुहम्मद सगीर, हाफिज जिया-उल-हक, मास्टर मुहम्मद एजाज, हाजी मुहम्मद रईस, मुहम्मद खतीब अल्वी, मुहम्मद फुरकान,महफूज फारूकी,सलाहुद्दीन अंसारी, अंजुमन तहफुज ए नामूसे सहाबा।अंत में मौलाना मोहम्मद हबीब क़ासमी की दुआ पर जलसे का समापन हुआ।