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लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा,यहाँ दीवारों के भी कान होते हैं, भूल भुलैया से निकलना मुश्किल

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है, और ये बात 100 प्रतिशत सच भी है क्युकी यहाँ पर नवाबो के द्वारा बनवायी गयी अनेकों ऐतिहासिक इमारते आज भी मौजूद है। लखनऊ उत्तर प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध और रोमांचक शहरों में से एक है, जो अपनी ऐतिहासिक महत्वाकांक्षा और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहां कई ऐतिहासिक स्थल हैं जो इस शहर को एक unique importance देते हैं, और उनमें से एक है ‘बड़ा इमामबाड़ा’। यह न केवल एक विश्वसनीय धार्मिक स्थल है बल्कि इसका इतिहास और वास्तुशिल्प भी इसे एक अद्वितीय स्थान बनाते हैं। इस लेख में, हम बड़े इमामबाड़े के इतिहास, संरचना, और महत्व को गहराई से समझेंगे।

इमामबाड़ा का इतिहास

बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसे नवाब असफ़-उद्दौला ने बनवाया था। यह नवाब असफ़-उद्दौला के शासनकाल में 18वीं सदी में बनाया गया था। इसका निर्माण मुग़ल साम्राज्य के धरोहरों की सम्मान के लिए किया गया था। बड़े इमामबाड़े का निर्माण 11 साल में पूरा हुआ था, और इसके निर्माण में लगभग 20,000 मजदूरों और विशेषज्ञों ने भाग लिया था।

मन को भा लेगी वास्तुकला

इमामबाड़े में आने वाला हर सैलानी इस की वास्तुकला को देखकर दंग रह जाता है। यह लखनऊ के सबसे प्रसिद्ध और खूबसूरत पर्यटन स्थलों में शुमार है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से साल भर पर्यटक आते हैं। इस इमारत की वास्तुकला में मुगल कला, राजपूत और गोथिक यूरोपियन प्रभाव देखने को मिलता है। इस भव्य इमारत का गुंबदनुमा हॉल लगभग 50 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा है। इमारत में बड़े-बड़े झरोखे इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। ये झरोखे ऐसे बनाए गए हैं कि मुख्य द्वारा से अंदर जाने वाले व्यक्ति को तो देखा जा सकता है, लेकिन झरोखे में बैठे व्यक्ति को अंदर जाने वाला व्यक्ति नहीं देख सकता है। दीवारों के निर्माण में ऐसी टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया है कि यदि आप बेहद धीमे भी बोलें तो आपकी आवाज दूर तक सुनाई देगी।

इस स्मारक के वास्तुकार दिल्ली के किफायतुल्लाह थे। इमामबाड़े का केंद्रीय कक्ष लगभग 16 मीटर चौड़ा और 50 मीटर लंबा है, साथ ही यहां नौ अन्य हॉल भी हैं छत पर जाने के लिए लगभग 84 सीढ़ियां हैं, ये ऐसे रास्ते से होकर जाती हैं कि कई बार लोग भ्रम में पड़ जाते हैं। यहां लगभग एक हजार से भी अधिक इमामबाड़े की दीवारों के बीच स्थित गलियारे हैं, जिन्हें भूलभुलैया कहा जाता है। इन गलियारों में आकर हर कोई अपना रास्ता भटक जाता है। इन्होंने ही इस भव्य इमारत को डिजाइन किया था। इसके निर्माण में लगभग 20 हजार लोग लगाए गए थे और यह लगभग 11 वर्ष में बनकर तैयार हुआ था।

इमामबाड़े की बावली

इमामबाड़े में जैसे ही आप अंदर जाते है तो जीने पर चढ़ने के दौरान बायीं तरफ एक बावली पड़ती है। जहाँ पर आप टिकट लेकर अंदर जा सकते हैं। ये बावली नवाब ने अपनी बेगम के स्नान के लिए बनवाया था , कहा जाता है इस बावली में पानी पास में बाह रही गोमती नदी से आता है, ये बात कितनी सच है इसकी पुष्टि मै नहीं करता। एक कहावत और है की नवाब के खजाने की चाभी भी इस कुए में पड़ी हुई है।

इसलिए कराया गया निर्माण

इमामबाड़े के निर्माण के पीछे भी एक कहानी है. 1784 में अवध क्षेत्र में एक बड़ा अकाल पड़ा; प्रांत के लोगों को खाने तक के लाले पद गए। यह तब था जब अवध के नवाब, आसफ-हम-दौला ने सभी लोगों को इस स्मारक के निर्माण में शामिल करने का फैसला किया। यह माना जाता है कि श्रमिक वर्ग दिन का निर्माण करने में बिताेगा और शाम को, कुलीन वर्ग आकर इसे नष्ट कर देगा इस तरह नवाब ने सभी वर्गों के लोगों के लिए लंबे समय तक काम सुनिश्चित किया।

इमामबाड़े के महत्त्व

बारे इमामबाड़ा एक महत्वपूर्ण मुस्लिम स्थल है जो शिया मुस्लिम समुदाय के लिए धार्मिक उत्सवों और त्योहारों का केंद्र है। इसके साथ ही, इसे भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

इमामबाड़े में मनाये जाने वाले पर्व

बड़े इमामबाड़े में कई धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार मनाए जाते हैं। इसमें मुहर्रम, ईद-उल-फितर, और ईद-उल-अज़हा शामिल हैं। ये त्योहार लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ते हैं और सामाजिक एकता को बढ़ावा देते हैं।

इमामबाड़े का सांस्कृतिक महत्व

बड़े इमामबाड़े का सांस्कृतिक महत्व उसकी मुग़ल शैली के आकर्षण और इसमें मौजूद मस्जिद, और बिल्डिंग की डिजाइन है। यह एक संगीत की समानता को प्रस्तुत करता है जो हिंदू और मुस्लिम संस्कृतियों के बीच है।

लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा एक अनूठा और ऐतिहासिक स्थल है जो भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी भव्यता, सुंदरता, और धार्मिक महत्व लोगों को आकर्षित करते हैं और इसे एक अनूठा पर्यटन स्थल बनाते हैं।
इस प्रकार, बड़ा इमामबाड़ा न केवल एक सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल है, बल्कि यह लखनऊ का गौरवशाली अंग भी है जो उत्तर प्रदेश को विशेषता प्रदान करता है। इसकी अनूठी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व लोगों को हमेशा याद रहता है और उन्हें बार बार यहाँ आने के लिए आकर्षित करता है।

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