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समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते डॉक्टर, कैसे हो मरीजों का इलाज

विशेष संवाददाता

टिकैतनगर, बाराबंकी। उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाए वैसे ही राम भरोसे है,लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही के कारण मरीजों को अब बेहतर सुविधाओ के लिए प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक के लाख प्रयासों के बावजूद हालात सुधरने का नाम नहीं ले रही है।

सामने आई डॉक्टरों की लापरवाही

ताजा मामला बाराबंकी के कोटवा धाम सरकारी अस्पताल का है। जहां पर अस्पताल खुलने का समय 8 से 2 बजे तक है लेकिन यहा के डॉक्टर कोई 10 बजे तो कोई 11 बजे आते है। अस्पताल आने का कोई समय नही है। जब 8 बजे मरीज ईलाज के लिए आते है तो अस्पताल का गेट बंद होने के कारण परेशान होकर वापस चले जाते है।

डॉक्टर के दुर्व्यवहार से परेशान मरीज

डॉक्टर विवेक की तैनाती जब से यहां पर हुई है इनका गलत व्यवहार होने के कारण मरीज अस्पताल आने से कतराने लगे है। लोगो का आरोप है कि डॉक्टर विवेक मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाने की सलाह देते है।

इन डॉक्टर साहब के आने से पहले इसी अस्पताल में सैकड़ों की संख्या में मरीज आते थे। डॉक्टरों के गलत व्यवहार की वजह से ही यहाँ पर ईलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या में बहुत कमी हो गई है और इस अस्पताल में जहा मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था की गई है वहा पर कबाड़ का ढेर लगा रखे है। वार्ड रूम के सामने कूड़ा घर बना रखे है। इस हॉस्पिटल में शौचालय तो बना है लेकिन पानी की कोई सुविधा नहीं है। फर्माशिट न आने के कारण जो मरीज ईलाज के लिए आते है वो भी वापस चले जाते है। यहां पर सरकार द्वारा जो सुविधाएं जनता के लिए दी गई है उसे डॉक्टरों के द्वारा मरीजों का इलाज नही किया जाता है,और मरीजो की भर्ती के लिए यहां पर सुविधा होने के बाद भी प्राइवेट अस्पताल भेज दिया जाता है। फर्माशिट आशीष त्रिपाठी की तैनाती कोटवा धाम सरकारी अस्पताल पर है लेकिन ये हफ्ते के तीन दिन मथुरा नगर सरकारी अस्पताल में रहते है।

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