उस्ताद शायर नसीर अंसारी की किताब ज़िक्र-ए-कर्बला का विमोचन किया गया
उस्ताद शायर अल्हाज नसीर अंसारी के आवास पर सजाई गई सलाम पर ज़िक्र-ए-कर्बला की महफ़िलसगीर
अमान उल्लाह ब्यूरो
बाराबंकी:शहर के मोहल्ला नबीगंज में उस्ताद शायर अल्हाज नसीर अंसारी के मजमुआ कलाम ज़िक्र-ए-कर्बला का विमोचन किया गया।जिसकी अध्यक्षता शमीम हैदर साहब रुदौलवी ने की।जबकि हुज़ैल लाल पुरी ने संचालन के कर्तव्यों को अच्छी तरह से निभाया।विशेष अतिथि के रूप में जनाब अनवर ख़ान साहब नेवरा, अख़्तर जमाल उस्मानी एवं एसएम हैदर उपस्थिति रहे। सभा की शुरुआत तिलावते क़ुरआन पाक के पाठ से की गई।वहीं बारगाह-ए-रिसालत माब में शादाब सरल ने नात-ए-पाक पेश की। इससे पहले अध्यक्ष महफ़िल सहित सभी विशिष्ट अतिथियों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया गया। इसके बाद अल्हाज नसीर अंसारी के सभी शागिर्दों ने एक के बाद एक अपने प्यार का इजहार करते हुए अपने उस्ताद को फूलों का हार पहनाकर मुंह मीठा कराया।
अपने अध्यक्षीय भाषण में शमीम हैदर ने अल्हाज नासिर अंसारी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नसीर अंसारी न केवल उत्कृष्ट वाणी और लहजे के शायर हैं, बल्कि व्यक्तिगत रूप से एक उत्कृष्ट,और दयालु व्यक्ति भी हैं।अनवर ख़ान साहब ने कहा कि अल्हाज नसीर अंसारी की कविताएं अहले बैत अतहार के प्रति उनके असीम प्रेम की पुष्टि करती हैं।बज़्म के महासचिव हुज़ैल लाल पुरी ने कहा कि किसी भी शायर के शब्द उसके व्यक्तित्व का आईना हो सकते हैं। उन्होंने अपने कलाम से साबित कर दिया कि जो कोई अहले-बैत का प्रेमी नहीं है, तो उसका केवल अल्लाह के रसूल से प्यार करने का दावा भी झूठा है। रसूलुल्लाह का सच्चा प्रेमी वही है जो उनके परिवार से प्यार करता है। इनके अलावा एसएम हैदर, अख़्तर जमाल उस्मानी, सग़ीर नूरी, मुजीब कर्नेल गंजवी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस मौक़े पर सैय्यद हबीब वारसी, इरफ़ान बाराबंकवी लखनऊ, अज़ीम मशाएख़ी, अज़्म गोंडवी, मुख़्तार फ़ारूक़ी, डॉक्टर रेहान अलवी, मास्टर इरफ़ान अंसारी, असलम सैदनपुरी, अदील मंसूरी,राशिद ज़हूर, आदर्श बाराबंकवी, सरवर किन्तूरी, तुफ़ैल ज़ैदपुरी, सलीम हमदम रुदौलवी, मुजीब रुदौलवी, आरिफ़ शहाबपुरी, सबा जहांगीराबादी, शम्स ज़कारियावी, बशर मसौलवी, नज़र मसौलवी, अफ़सर बाराबंकवी, दानिश रामपुरी, मिस्टर अमेठवी, तालिब अला पुरी सहित तमाम शायर उपस्थिति रहे।