जाहिद वारसी
बाराबंकी। दीन-दुखियों तथा उपेक्षितों की सेवा को ही वे ईश्वर भक्ति मानने वाले राष्ट्र संत श्री गाडगे जी महाराज का परिवार्वण दिवस संत गाडगे सेवा समिति और डॉ० भीमराव अंबेडकर समिति के संयुक्त तत्वाधान में सतरिख नाका स्थित अम्बेडकर पार्क में पुष्पांजलि अर्पित करते हुए मनाया गया।
संत गाडगे के जीवन पर प्रकाश डालते हुए संस्था के संरक्षक इंजी. हर्ष चंद्र कनौजिया ने बताया कि गाडगे जी महाराज ने धार्मिक आडंबरों का प्रखर विरोध किया। उनका विश्वास था कि ईश्वर न तो तीर्थस्थानों में है और न मंदिरों में व न मूर्तियों में। दरिद्र नारायण के रूप में ईश्वर मानव समाज में विद्यमान है। मनुष्य को चाहिए कि वह इस भगवान को पहचाने और उसकी तन-मन-धन से सेवा करें। भूखों को भोजन, प्यासे को पानी, नंगे को वस्त्र, अनपढ़ को शिक्षा, बेकार को काम, निराश को ढाढस और मूक जीवों को अभय प्रदान करना ही भगवान की सच्ची सेवा है।
संस्था अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद कनौजिया ने बताया कि यद्यपि बाबा अनपढ़ थे, किंतु बड़े बुद्धिवादी थे। पिता की मौत हो जाने से उन्हें बचपन से अपने नाना के यहां रहना पड़ा था। वहां उन्हें गायें चराने और खेती का काम करना पड़ा था। सन् 1905 से 1917 तक वे अज्ञातवास पर रहे। इसी बीच उन्होंने जीवन को बहुत नजदीक से देखा। अंधविश्वासों, बाह्य आडंबरों, रूढ़ियों तथा सामाजिक कुरीतियों एवं दुर्व्यसनों से समाज को कितनी भयंकर हानि हो सकती है, इसका उन्हें भलीभांति अनुभव हुआ। इसी कारण इनका उन्होंने घोर विरोध किया।
संस्था के महासचिव मंशाराम कनौजिया ने श्री गाडगे जी के विचारों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गाडगे जी महाराष्ट्र के कोने-कोने में अनेक धर्मशालाएं, गौशालाएं, विद्यालय, चिकित्सालय तथा छात्रावासों का निर्माण कराया। यह सब उन्होंने भीख मांग-मांगकर बनावाया किंतु अपने सारे जीवन में इस महापुरुष ने अपने लिए एक कुटिया तक नहीं बनवाई। उन्होंने धर्मशालाओं के बरामदे या आसपास के किसी वृक्ष के नीचे ही अपनी सारी जिंदगी बिता दी।
उक्त कार्यक्रम का संचालन लोक गायक जमुना प्रसाद कनौजिया ने किया।
सभी ने एक दीप गाडगे के नाम समर्पित करते हुए गाडगे के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस मौके पर सुंदर लाल कनौजिया, तिलकराम कनौजिया, जे एल भास्कर, मनीष कनौजिया, आर डी कनौजिया, रामगोपाल कनौजिया, राम प्रघट कनौजिया, डॉ राकेश कनौजिया, सहजराम कनौजिया, विजय अम्बेडकर,अमरेश बहादुर,विनोद कुमार प्रधान, डॉ० शशि अवस्थी, राम दयाल,राम गुलाम कनौजिया, राघवेंद्र सुमन, सिद्धार्थ कनौजिया व मातृ शक्ति के रूप में सुधा कनौजिया सहित संस्था के अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।